FPO (Farmer Producer Organization)
भारत एक कृषि प्रधान देश है भारत में लगभग 60% आबादी ग्राम में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। लेकिन लंबे समय से किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है, क्योंकि बिचौलियों के कारण मुनाफ़ा कम होता जा रहा है और उत्पादन की लागत बढ़ती जा रही है। इन्हीं समस्याओं का समाधान करने के लिए सरकार ने FPO (Farmer Producer Organization) यानी किसान उत्पादक संगठन की शुरुआत की है। FPO जब कंपनी के रूप में रजिस्टर्ड हो जाता हैं, तो इसे Farmer Producer Company (FPC) कहा जाता है।
आइये FPO की विस्तृत जानकारी से समझते है –
FPO/FPC क्या है?
FPO/FPC किसानों का समूह है जो एक कानूनी रूप से पंजीकृत संस्था होती है।
इसमें छोटे और सीमांत किसान मिलकर एक संगठन या कंपनी बनाते हैं।
इसका उद्देश्य किसानों की सामूहिक ताकत (collective strength) का उपयोग करके उन्हें बेहतर उत्पादन, विपणन, भंडारण और मूल्य दिलाना है।
इसे कंपनी अधिनियम 1956 (Producer Company Act, 2002 संशोधन) के तहत रजिस्टर्ड किया जाता है।
FPO/FPC की संरचना
सदस्य (Members):
कम से कम 10 किसान मिलकर FPO बना सकते हैं।
अधिकतम सदस्यों की कोई सीमा नहीं है।
शेयर कैपिटल (Share Capital):
हर किसान अपनी क्षमता के अनुसार शेयर खरीदकर सदस्य बन सकता है।
यह पूँजी आगे कंपनी के संचालन में उपयोग होती है।
बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स (Board of Directors):
सदस्यों द्वारा चुने गए किसान इसमें निदेशक बनते हैं।
ये कंपनी की नीतियाँ और कार्ययोजना तय करते हैं।
FPO/FPC के उद्देश्य
किसानों को उचित बाजार और बेहतर दाम उपलब्ध कराना।
कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण, पैकेजिंग और ब्रांडिंग करना।
बीज, खाद, कीटनाशक और मशीनरी की सामूहिक खरीद, ताकि लागत कम हो।
भंडारण (storage), कोल्ड स्टोरेज और ट्रांसपोर्ट की सुविधा उपलब्ध कराना।
किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण और जागरूकता देना।
कृषि उत्पादों को सीधे बाजार, सुपरमार्केट, निर्यात तक पहुँचाना।
FPO/FPC के लाभ
बाजार तक सीधी पहुँच:
किसान बिचौलियों के बिना अपनी उपज सीधा खरीदार या कंपनियों को बेच सकते हैं।
बेहतर मूल्य:
सामूहिक रूप से बड़ी मात्रा में बिक्री करने से किसानों को बाजार में नेगोसिएशन (मोलभाव) की ताकत मिलती है।
उत्पादन लागत में कमी:
जब खाद, बीज और उपकरण सामूहिक रूप से खरीदे जाते हैं तो थोक दरों पर मिलते हैं।
रोज़गार और आय में वृद्धि:
प्रसंस्करण और पैकेजिंग इकाइयों से ग्रामीण युवाओं को रोजगार मिलता है।
FPO/FPC बनाने की प्रक्रिया
कम से कम 10 किसान/प्रोड्यूसर का समूह बनाना।
नाम आरक्षण और पंजीकरण (Registrar of Companies के तहत)।
MoA (Memorandum of Association) और AoA (Articles of Association) तैयार करना।
PAN, बैंक खाता और GST पंजीकरण कराना।
शेयर पूंजी जमा करना और सदस्यों को शेयर सर्टिफिकेट देना।
बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का चुनाव करना।
FPO/FPC को मिलने वाली सरकारी सहायता:
केंद्र और राज्य सरकार FPO/FPC को वित्तीय मदद, सब्सिडी, प्रशिक्षण और क्रेडिट लिंक उपलब्ध कराती हैं।
नाबार्ड (NABARD): किसानों को FPO बनाने के लिए मार्गदर्शन और वित्तीय सहायता देता है।
SFAC (Small Farmers’ Agribusiness Consortium): FPO को इक्विटी ग्रांट और क्रेडिट गारंटी देता है।
राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM): FPO को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर सीधे मंडियों और खरीदारों से जोड़ता है।
प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना, आत्मनिर्भर भारत पैकेज और अन्य योजनाओं के तहत FPO को विशेष सहायता मिलती है।
FPO/FPC के कार्यक्षेत्र
कृषि उपज विपणन (Marketing of Produce)
बीज उत्पादन और वितरण
कृषि मशीनरी किराए पर उपलब्ध कराना
प्रसंस्करण और वैल्यू एडिशन यूनिट स्थापित करना
ऑर्गेनिक खेती और ब्रांडिंग
निर्यात (Export) के अवसर बनाना
एवं अन्य कार्यक्षेत्र
चुनौतियाँ
किसानों में जागरूकता की कमी।
प्रबंधन और प्रशासनिक अनुभव का अभाव।
शुरुआती वर्षों में पूंजी की कमी।
बाजार से जुड़ने और ब्रांड बनाने में कठिनाई।
निष्कर्ष
FPO/FPC किसानों के लिए एक मजबूत मंच है जो उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने, उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने और कृषि को एक लाभकारी व्यवसाय बनाने में अहम भूमिका निभाता है। यदि सरकार की योजनाओं का सही उपयोग किया जाए और किसान मिलजुलकर संगठन को आगे बढ़ाएँ, तो FPO/FPC भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन सकता है।
FAQ (Frequently Asked Questions)
Q1. FPO क्या है?
👉 FPO यानी Farmer Producer Organization किसानों का एक समूह है जो सामूहिक रूप से खेती, विपणन और व्यवसाय करता है।
Q2. FPO और FPC में क्या अंतर है?
👉 जब FPO को कंपनी अधिनियम 1956 (Producer Company Act, 2002 संशोधन) के तहत पंजीकृत किया जाता है, तो उसे FPC (Farmer Producer Company) कहा जाता है।
Q3. FPO/FPC बनाने के लिए कितने किसानों की जरूरत होती है?
👉 न्यूनतम 10 किसान मिलकर FPO/FPC बना सकते हैं।
Q4. FPO/FPC को सरकार से क्या सहायता मिलती है?
👉 NABARD और SFAC जैसे संस्थान इक्विटी ग्रांट, क्रेडिट गारंटी, प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग प्रदान करते हैं।
Q5. FPO/FPC से किसानों को क्या फायदा होता है?
👉 किसानों को उपज का बेहतर मूल्य, उत्पादन लागत में कमी, सीधा बाजार से जुड़ाव और सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है।
क्या आप भी अपने गाँव या क्षेत्र में FPO/FPC शुरू करना चाहते हैं?
👉 अभी से किसानों का एक मजबूत संगठन बनाकर अपनी उपज का सही मूल्य पाएं और कृषि को लाभकारी व्यवसाय में बदलें।
👉 हमसे संपर्क करें – FPO/FPC से जुड़ी जानकारी, पंजीकरण प्रक्रिया और सरकारी योजनाओं की सहायता के लिए।
👉 🌐 अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट atozfine.in
Disclaimer (अस्वीकरण)
यह लेख केवल जानकारी और जागरूकता हेतु लिखा गया है। FPO/FPC से जुड़ी सरकारी नीतियाँ और योजनाएँ समय-समय पर बदल सकती हैं। आधिकारिक जानकारी और पंजीकरण के लिए संबंधित सरकारी विभाग या अधिकृत संस्था से संपर्क करना आवश्यक है।
✍️ लेखक: मुकेश
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