मां बाप अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं जिससे बच्चे का अच्छा भविष्य बन सके। आपने अपने बच्चे के अच्छे भविष्य के बारे में सोच लिया, लेकिन क्या देश का कल सुरक्षित है? क्या देश का परसों सुरक्षित है? यदि देश का कल और परसों सुरक्षित नहीं होंगे, तो आपके बच्चे का अच्छा भविष्य किस काम का होगा, सोच के देखें, विचार करके देखें, आपको आपके ही प्रश्न का जवाब मिल जाएगा।
देश और दुनिया का भविष्य तब सुरक्षित होगा जब पूरी दुनिया से परमाणु बम, मिसाइल और घातक हथियार पूर्ण रूप से नष्ट किए जाएं, साथ ही इन्हें बनाने के लिए पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए जिससे परमाणु बम, मिसाइल, घातक हथियार दोबारा ना बनाए जा सके, कठोर प्रतिबंध लगने चाहिए जिससे देश और दुनिया दोनों ही हमेशा के लिए सुरक्षित रहे। क्योंकि यह परमाणु बम, मिसाइल, घातक हथियार ही देश के शासक के अंदर अहंकार को जन्म देते हैं।
मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि आज एक देश – दूसरे देश की सीमाओं का सम्मान नहीं करते हैँ और एक दूसरे की सीमाओ का उल्लंघन करते हैं, एक दूसरे पर कीचड़ उछालते हैं, सिर्फ व्यापार के लिए संबंध रखना चाहते हैं। छोटी-छोटी बातों पर लड़ने को तैयार रहते हैं।
मै एक उदाहरण के रूप में समझाना चाहता हूं कि दो छोटे-छोटे बच्चे पड़ोस में आपस में लड़ जाते हैं क्योंकि वह लड़ाई के ज्ञान से अनजान होते हैं, कि क्या सही है? क्या गलत है? अगले दिन दोबारा वह दोस्त बन जाते हैं, क्योंकि उनके मन में एक दूसरे के प्रति कोई छल कपट, स्वार्थ नहीं होता है, इसीलिए वह अगले दिन एक हों जाते हैं।
लेकिन दो देशों के बीच की कड़वाहट, स्वार्थ की भावना, छल कपट इतना भर है कि आपस में अच्छे संबंध बनते हुए नहीं दिख रहे हैं। यह देश और दुनिया दोनों के भविष्य के लिए खतरा है, यह अच्छा संकेत नहीं है।
इस समस्या का स्थाई समाधान बस एक ही है, पूरी दुनिया से परमाणु बम, मिसाइल और घातक हथियार पूर्ण रूप से नष्ट किए जाएं, साथ ही इन्हें बनाने के लिए पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए जिससे परमाणु बम, मिसाइल, घातक हथियार दोबारा ना बनाए जा सके, कठोर प्रतिबंध लगने चाहिए जिससे देश और दुनिया दोनों ही हमेशा के लिए सुरक्षित रहे।
मित्रों यदि आपको लगता है कि मैंने सही लिखा है, सही बात की है, सही मांग की है, कल सुरक्षित रहे और दुनिया सुरक्षित रहे।
तो आप मेरे इस विचार को, मेरे इस लेख को, अपने मित्रो तक शेयर करें , फेसबुक पर शेयर करें ,व्हाट्सएप पर शेयर करें, इंस्टाग्राम पर शेयर करें, जिससे यह मांग जन जन की मांग बने और हम सब मिलकर इस मांग को उठाएं और देश और पूरी दुनिया की सरकारों को सोचने पर मजबूर कर दें कि घातक हथियार विकास नहीं विनाश है इसलिए इनको नष्ट करना जरूरी है तभी देश और दुनिया दोनों ही सुरक्षित रहेंगे
मित्रों आप चाहते हैं कि देश और दुनिया, आज और कल, हम और हमारे बच्चे सुरक्षित रहें तो इसे जरूर शेयर करें
परमाणु शक्ति (Nuclear Power)
परमाणु शक्ति (Nuclear Power) जितनी उपयोगी है, उससे अधिक यह विनाशकारी है। परमाणु शक्ति एक ओर यह ऊर्जा का विशाल स्रोत है, वहीं दूसरी ओर यह विश्व विनाश का कारण भी है। 1968 में परमाणु अप्रसार संधि (Non-Proliferation Treaty – NPT) बनाई गई और परमाणु अप्रसार संधि का उद्देश्य था कि-
- परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना
- परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करना
- परमाणु हथियारों के निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देना था।
यह संधि 1970 में प्रभाव में आई और वर्तमान में 190 से अधिक देश इसके सदस्य हैं। हालांकि भारत, पाकिस्तान, इज़राइल जैसे देश इस संधि के हिस्सा नहीं है। परंतु विडंबना यह है कि जिन देशों के पास परमाणु शक्ति है, वही इस संधि के बावजूद विश्व शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गए हैं।
परमाणु अप्रसार संधि में भेद-भाव
परमाणु अप्रसार संधि के अनुसार दुनिया में पाँच अधिकृत परमाणु हथियार संपन्न देश — अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस हैं।
इन देशों को परमाणु अप्रसार संधि द्वारा ही परमाणु हथियार रखने की मान्यता प्राप्त है। इन पाँच अधिकृत परमाणु हथियार संपन्न देशों का यह मानना है कि परमाणु हथियार होना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अनिवार्य है।
लेकिन वास्तविकता यह है कि ये हथियार अब केवल आत्मरक्षा का साधन नहीं बल्कि दूसरों को डराने और राजनीतिक दबाव बनाने का साधन बन चुके हैं।
यदि कोई गरीब देश परमाणु हथियार बनाने की कोशिश करे तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर उन पर कड़े प्रतिबन्ध लगाते हैं और यह गरीब देश यदि इनकी बात नहीं माने तो यह युद्ध जैसी कार्यवाही करते हैं।
उदाहरण :
अमेरिका दोवारा हिरोशिमा पर पहला हमला
6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर पहला परमाणु बम “लिटिल बॉय” गिराया। इससे शहर पूरी तरह तबाह हो गया और हजारों लोग तुरंत मारे गए।
अमेरिका दोवारा नागासाकी पर दूसरा हमला
पहले हमले के तीन दिन बाद, 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने दूसरा परमाणु बम “फैट मैन” जापान के नागासाकी शहर पर गिराया। बम गिरने के कुछ ही क्षणों में पूरा शहर एक प्रचंड अग्नि-विस्फोट की चपेट में आ गया। और लगभग 70,000 से अधिक लोग तुरंत मारे गए और हजारों अन्य लोग बाद में जलने, विकिरण और बीमारियों के कारण मृत्यु को प्राप्त हुए। शहर के अस्पताल, स्कूल, घर और उद्योग सब नष्ट हो गए।
जापान के हिरोशिमा शहर पर जब परमाणु बम “लिटिल बॉय” फटा होगा तो कुछ इस तरह का दृश्य होगा जिसे देखने से ही डर लग रहा है।
परमाणु बम से होने वाले नुकसान
- परमाणु बम के फटते एक विशाल अग्नि गोला बनाता है जो अपने आसपास के हर जीवित प्राणी को भस्म कर देता है।
- विस्फोट क्षेत्र में उपस्थित लोग तुरंत जलकर मर जाते हैं।
- हिरोशिमा में लगभग 70,000 लोग कुछ ही क्षणों में मारे गए थे, और नागासाकी में 40,000 से अधिक।
- रेडिएशन के प्रभाव में कैंसर
- अनुवांशिक दोष ,प्रजनन क्षमता में कमी
- बच्चों में जन्मजात विकृति
- हवा और पानी में रेडियोधर्मी पदार्थ फैल जाते हैं।
- भूमि बंजर हो जाती है 40–50 साल तक कुछ नहीं उगता।
- पशु-पक्षी मर जाते हैं या विकृति का शिकार होते हैं।
- ग्लोबल वार्मिंग से भी तेज जलवायु संकट पैदा करेगा
- कृषि उत्पादन ठप हो जाएगा
- सूरज की रोशनी वर्षों तक धरती पर न पहुंचे और जिससे जीवन खत्म होने लगता है।
जापान के नागासाकी शहर पर जब परमाणु बम “फैट मैन बम ” फटा होगा तो कुछ इस तरह का दृश्य होगा जिसे देखने से ही डर लग रहा है। चारो तरफ विनाश ही विनाश है।
चेतावनी
ये परमाणु हमले विश्व को यह समझाने के लिए पर्याप्त थे कि परमाणु युद्ध मानव जाति का सम्पूर्ण विनाश कर सकता है। यह हम सब के लिए चेतावनी है कि परमाणु शक्ति का अहंकार सम्पूर्ण मानव जाति सभ्यता को मिटा देगा ।
परमाणु अप्रसार संधि और परमाणु संपन्न देशों की दोहरी नीति के संबंध में मैंने दो लाइनों की पंक्तियाँ लिखी हैं- मुझे पूरा विश्वाश है कि आपको पसंद आयेंगी –
अहंकार की गठरी इतनी ना भर, कि इंसानियत बेमौत मर जाए ।
जो साँसे बची हैं, उनका सदुपयोग कर, जिससे तेरा नाम अमर हो जाए ।।
परमाणु संपन्न देशों की दोहरी नीति
- ये पाँच अधिकृत परमाणु हथियार संपन्न देश अन्य राष्ट्रों को परमाणु हथियार न बनाने की सलाह देते हैं, वहीं दूसरी ओर स्वयं अपने परमाणु हथियारो को आधुनिक तकनीक से लैस कर रहे हैं।
- ये पाँच अधिकृत परमाणु हथियार संपन्न देश परमाणु शक्ति का डर दिखाकर अन्य देशों को अपनी रणनीतिक योजना में झुकने को मजबूर करते हैं। ये देश संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर भी छोटे देशों की आवाज को दबाते हैं।
- इस प्रकार एक असमान और अन्यायपूर्ण वैश्विक भेद-भाव की नीति वाली संधि बनाई गई है ।
मैं करूं सब अच्छा लागै
तू करै मुझ डर लागै ।
तेरी बंसी मुझे ना सुहावै
मुझे तो मेरो तमूरा अच्छा लागै ।।
विश्व अशांति का प्रमुख कारण
भय का माहौल
परमाणु हथियारों का होना भय का माहौल पैदा करता है। जब एक गरीब देश को पता चलता है कि उसका पड़ोसी देश परमाणु शक्ति संपन्न है, तो वह गरीब देश हमेशा भय महसूस करता है इस भय के कारण, वह भी परमाणु शक्ति विकसित करने की सोचता है। यह भय ही विश्व अशांति को जन्म देता है।
प्रत्यक्ष संघर्ष की संभावना
उत्तर कोरिया-अमेरिका एवं भारत -पाकिस्तान और चीन-भारत व ईरान-इजराइल जैसे उदाहरण बताते हैं कि परमाणु संपन्न देशों के बीच तनातनी विश्व शांति को कभी भी भंग कर सकती है।
भय के कारण बढ़ता रक्षा बजट
आज की वैश्विक राजनीति में “भय” एक हथियार बन चुका है। एक देश यदि अत्यधिक शक्तिशाली हो जाए, तो उसके पड़ोसी देश अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हो जाते हैं। परिणामस्वरूप वे अपने सैन्य बजट को बढ़ाते हैं। यह प्रतिस्पर्धा किसी भी देश की आंतरिक शांति के लिए नहीं, बल्कि संभावित खतरे के लिए होती है। यह भय वास्तविक हो या मनोवैज्ञानिक — लेकिन इसका असर आर्थिक और सामाजिक संसाधनों पर गंभीर होता है। क्योंकि रक्षा बजट बढ़ने से समाज के कल्याण के लिए जो योजनाएं बनाई जाती हैं वह काम हो जाती है अर्थात गरीबों के कल्याण की योजनाये सीमित हो जाती है जिससे समाज का विकास उतना नहीं होता है, जितना विकास होना चाहिए।
भारत का दृष्टिकोण: जिम्मेदार, न्यायपूर्ण और संतुलित
भारत ने NPT पर हस्ताक्षर नहीं किया क्योंकि यह संधि उसे परमाणु हथियार संपन्न देशों की तरह मान्यता नहीं देती है। भारत का यह रुख बिल्कुल तर्कसंगत है। भारत ने सदैव यह कहा है कि वह परमाणु शक्ति का उपयोग केवल आत्मरक्षा और शांति के लिए करेगा। उसने पहले परमाणु हथियारों के प्रयोग की नीति (No First Use Policy) को अपनाया है, जो उसे एक जिम्मेदार परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाती है।
समाधान और शांति के लिए प्रयास
समाधान और शांति के लिए ठोस और भेदभाव न करते हुए निम्न प्रयास किये जा सकते हैं-
समान और न्यायसंगत वैश्विक नीति
NPT जैसी संधियों को संशोधित कर परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए सभी देशों पर समान नियम लागू होने चाहिए। पांच देशों की विशेष अधिकार/लेवल खत्म होना चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र की निष्पक्ष भूमिका
UN को अब महाशक्तियों के दबाव से मुक्त होकर परमाणु शक्ति के लिए सशक्त और निष्पक्ष नीति बनानी चाहिए। जो सभी देशो पर सामान रूप से लागू हों। कोई देश छोटा या बड़ा नहीं होना चाहिए।
शिक्षा और जनजागरूकता
विश्व स्तर पर लोगों को यह समझाना आवश्यक है कि परमाणु हथियारों से सुरक्षा नहीं, विनाश होता है। जनमत ही परमाणु निरस्त्रीकरण का सबसे बड़ा हथियार बन सकता है।
संवाद और सहयोग में ही, विश्व की शांति हैं
परमाणु संपन्न देशो को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी कि परमाणु शक्ति विश्व शांति की गारंटी नहीं हैं। परमाणु हथियारों का अस्तित्व ही विश्व में तनाव, डर और असमानता का कारण है। वास्तविक विश्व शांति तब संभव होगी जब विश्व का हर देश एक-दूसरे को बराबरी का दर्जा दे और एक-दूसरे देश की सीमाओं का सम्मान करे और सैन्य शक्ति के बजाय संवाद और सहयोग को प्राथमिकता देते हुए समस्याओ का समाधान निकाले।
यदि यह नहीं होता है, तो मानवता एक दिन अपनी ही बनाई इस “परमाणु आग” में भस्म हो जाएगी।
शेयर करें :
यह तभी सम्भव है जब आप इस लेख को जन जागरण बना दें जिससे परमाणु युद्ध रोके जा सकें और महा विनाश होने से बच सके। इसलिए आप इसे अपने मित्रों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करें। तो अब आप देर कैसी कर रहें हैं जल्दी से मित्रों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करें।
आपका एक शेयर किसी को सोचने पर मजबूर कर सकता है।
आइए मिलकर एक शांतिपूर्ण और सुरक्षित विश्व की नींव रखें।
यह भी पढ़े………. नीम करोली बाबा की चमत्कारी शक्तियाँ
यह भी पढ़े……….. नीम करोली बाबा जी का विवाह
डिस्क्लेमर (Disclaimer in Hindi):
इस लेख में प्रस्तुत विचार लेखक के निजी विचार हैं। इसका उद्देश्य किसी देश, संस्था या व्यक्ति की छवि को ठेस पहुँचाना नहीं, बल्कि वैश्विक शांति और सामाजिक चेतना को बढ़ावा देना है। लेख में प्रयुक्त ऐतिहासिक या वर्तमान सन्दर्भ केवल समझाने और विश्लेषण के उद्देश्य से दिए गए हैं।
Add comment