परिचय
भारत की आबादी वर्तमान समय 2025 में लगभग 1.46 अरब (146 करोड़) होने का अनुमान है, जो दुनिया का सबसे बड़ा और अधिक आबादी वाला देश है। भारत तेजी से डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ रहा है क्योंकि आज का युग डिजिटल क्रांति का युग है।
लेकिन फिर भी भारत में एक आम नागरिक इस डिजिटल युग में भी अलग अलग प्रकार के कार्ड बनबाने के लिए धूप, बारिश ,ठंड में लम्बी लम्बी लाइनों में खड़े होकर अपने जीवन का अनमोल समय ख़राब कर रहा हैं और एक आम नागरिक इन कार्ड को बनबाने में आर्थिक रूप से, शारीरिक रूप से, मानसिक रूप से , नैतिक रूप से शोषण का शिकार हो रहा हैं।
भारत सरकार और राज्य की सरकारों ने सरकारी योजनाओ का लाभ प्राप्त करने के लिए देश के आम नागरिको के साथ विभिन्न प्रकार की शर्तो और विभिन्न प्रकार के कार्ड बनबाने के लिए जटिल प्रक्रिया बना दी है। जिसके कारण आम लोग सरकार की योजनाओ का लाभ प्राप्त करने के लिए सरकारी विभागों के चक्कर लगाते रहते हैं, परेशान और दुःखी होते हैं।
आज के डिजिटल युग में भी देश के हर नागरिक को अनेक प्रकार के कार्ड रखने पड़ते हैं जैसे –
राशन कार्ड, पैन कार्ड, आधार कार्ड, श्रम कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस कार्ड, पासपोर्ट कार्ड ,वोटर कार्ड ,आयुष्मान कार्ड, लेवर कार्ड एवं अन्य कार्ड आदि।
एक नागरिक के पास इतने कार्ड होने से खोने की समस्या, सुरक्षा की समस्या और प्रबंधन की समस्या बढ़ जाती है। इसलिए इस डिजिटल युग में आवश्यकता है कि एक ऐसा “यूनिवर्सल कार्ड” हो, जो सभी सरकारी विभागों की योजनाओ के लिए और देश हो या विदेश हर जगह मान्य हो और यह कार्ड फिजिकल + डिजिटल दोनों रूपों में उपलब्ध होना चाहिए।
भारत में सभी प्रकार के कार्ड खत्म करने की आवश्यकता है और एक यूनिवर्सल कार्ड “भारतीय नागरिक पहचान पत्र” की दिशा में एक पहल करनी होगी।
मौजूदा स्थिति (Current Scenario in India)
आधार कार्ड 130 करोड़ – पहचान और पते का प्रमाण।
पैन कार्ड – टैक्स और वित्तीय लेन-देन के लिए।
राशन कार्ड – खाद्य सुरक्षा हेतु।
ड्राइविंग लाइसेंस – वाहन चलाने की अनुमति।
पासपोर्ट – अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए।
श्रम कार्ड / लेबर कार्ड – मजदूरों के अधिकार और लाभ के लिए।
वोटर कार्ड- चुनाव में वोट करने के लिए।
आयुष्मान कार्ड- स्वस्थ सेवाओं का लाभ लेने के लिए।
लेकिन एक नागरिक के लिए इन सब कार्ड्स को अलग- अलग रखना और सभी जगह साथ ले जाना कठिन है और खोने का डर भी बना रहता है इसीलिए एक यूनिवर्सल कार्ड ( भारतीय नागरिक पहचान पत्र) की आवश्यकता है।
यूनिवर्सल कार्ड की आवश्यकता क्यों?
खोने का डर कम होगा।
एक ही कार्ड को संभालना आसान है।
सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए कम कागजो की जरुरत होगी।
एक नागरिक की पहचान करना आसान होगा।
भ्रष्टाचार कम होगा।
फर्जी पहचान और डुप्लीकेट कार्ड बनवाने की समस्या घटेगी।
डिजिटल इंडिया की दिशा में बड़ा कदम – सभी डाटा एक ही प्लेटफ़ॉर्म पर होगा।
इस प्रकार यूनिवर्सल कार्ड ( भारतीय नागरिक पहचान पत्र) से जनता और सरकार दोनों के लिए समय और पैसा की बचत होगी
यूनिवर्सल कार्ड के संभावित फायदे
सरकारी योजनाओं का लाभ- एक ही यूनिवर्सल कार्ड ( भारतीय नागरिक पहचान पत्र) होने से योजना का लाभ मिलना आसान हो जायेगा।
ट्रैवल वेरिफिकेशन – हवाई अड्डे, रेलवे, बस टिकट बुकिंग में यूनिवर्सल कार्ड ( भारतीय नागरिक पहचान पत्र) होने से अलग कार्ड दिखाने की जरूरत नहीं होगी।
हेल्थ और एजुकेशन सेक्टर में लाभ – अस्पताल और स्कूलों में नागरिक की पहचान यूनिवर्सल कार्ड ( भारतीय नागरिक पहचान पत्र) होने से तुरंत हो सकेगी।
बैंकिंग और वित्तीय लेन-देन – KYC प्रक्रिया एक यूनिवर्सल कार्ड ( भारतीय नागरिक पहचान पत्र) होने से पूरी हो जाएगी।
आसान अपडेट सिस्टम – नागरिकों को बार-बार अलग-अलग कार्ड अपडेट नहीं करने पड़ेंगे।
आम जनता को बार बार कार्ड या अलग अलग प्रकार के कागज नहीं बनबाने होंगे, इससे आम जनता का आर्थिक और मानसिक ,नैतिक व सामाजिक रूप से लाभ होगा।
सरकार को प्रशासन सरल, फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मदत मिलेगी जिससे जनता का विश्वास सरकार पर बढ़ेगा जो देश के विकास के लिए जरुरी है। टेक्नोलॉजी का बेहतर उपयोग – डिजिटल गवर्नेंस को बढ़ावा देगा ।
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