कविता – बूँद-बूँद जल
बूँद-बूँद जल की, कल के भारत का सोना है,
इसे बचाना, संजोना, हम सबको यह करना है।
जल की एक एक बूँद, जीवन की जननी है,
सूखती धरती की पुकार, अब हमें सुननी है।
जल की बर्बादी की आदतें, अब हमें बदलनी होंगी,
टपकते नल, बहती धारें, अब हमें रोकनी होंगी।
जल की एक-एक बूँद को, अब हमें न खोना है,
वरना जल को तड़पेगा, मेरे भारत का कोना-कोना है।
आओ मिलकर, कुँए, तालाब, झीलें फिर से सजाएं,
वृक्ष लगाएं, वर्षा जल को गांव के तालाबों में संजोय।
अगर आज बचाएंगे, मिलकर एक एक बूँद जल,
मेरे भारत का बन जायेगा, हरा भरा सुनहरा कल।
सुझाव
सुझाव है मेरा सरकार से
प्रतिबंधित हो मोटर पम्प, एक मंजिल घर द्वार से
गांव के जल को संरक्षित करो,
गांव के चारो ओर, बना के नाले और दीवार से
वर्षा के जल को संरक्षित करो,
गांव में कम से कम, 4 तालाबो की खुदाई से
नहर के पानी की बर्बादी रोको,
तालाबों को रिचार्ज करो, नहर के पानी से
गाड़ी, सड़क, फर्श की धुलाई रोको,
एक सामान नियम, कानून और चालान से
👉 हर बूँद में जीवन है – आज संकल्प लें कि जल की एक भी बूँद व्यर्थ नहीं जाने देंगे।
👉 अगर आपको यह कविता और सुझाव प्रेरणादायक लगे हों, तो इसे जरूर शेयर करें – ताकि जल संरक्षण एक जन आंदोलन बन जाए।
👉 आपकी एक पहल, भारत के भविष्य को संवार सकती है – आज ही अपने गांव, मोहल्ले में जल बचाने की शुरुआत करें।
👉 कृपया इस संदेश को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाएं – स्कूल, कॉलेज, पंचायत और सोशल मीडिया के माध्यम से।
👉 नीचे कमेंट कर के बताएं – आप अपने क्षेत्र में जल बचाने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं?
👉 अब चुप रहने का समय नहीं… आवाज उठाइए, सुझाव अपनाइए, और जल संकट को हराइए।
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