परिचय
भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारत की लगभग 60% आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खेती पर निर्भर है। भारत के किसानों के लिए खेती केवल आनाज उत्पादन का साधन नहीं है बल्कि करोड़ों किसानों के लिए आजीविका का साधन है। आजादी के समय भारत में आनाज की कमी थी क्योंकि खेती में आनाज का उत्पादन कम था और समय की मांग को पूरा करने के लिए खेती की पद्धतियों में बड़ा बदलाव आया। और इसी के साथ हरित क्रांति (1960 के दशक) का उदय हुआ।
हरित क्रांति के माध्यम से रासायनिक खेती को प्रोत्साहन दिया गया , जिससे खेती में उत्पादन बढ़ा और समय की मांग को पूरा किया गया लेकिन इसके दूरगामी दुष प्रभाव आज हमारे सामने हैं – मिट्टी की उर्वरता घट रही है, पानी जहरीला हो रहा है और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है।
रासायनिक खेती से आज जो नुकसान हो रहे हैं उनसे बचने का बस एक ही विकल्प है और वह है जैविक खेती (Organic Farming)– जैविक खेती का उद्देश्य मिट्टी, पर्यावरण और स्वास्थ्य को सुरक्षित रखते हुए प्राकृतिक तरीके से खेती करना है।
अब सवाल उठता है –किसानों का भला जैविक खेती करने से होगा या रासायनिक खेती से
जैविक खेती क्या है?
जैविक खेती वह पद्धति है जिसमें प्राकृतिक खाद, गोबर, केंचुआ खाद, हरी खाद, जैविक कीटनाशक और परंपरागत बीजों का इस्तेमाल किया जाता है। जैविक खेती में रासायनिक उर्वरक और जहरीले कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है।
जैविक खेती की मुख्य विशेषताएँ
मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना।
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण।
फसलों को सुरक्षित रखने के लिए जैविक उपाय (जैसे नीम का छिड़काव)।
किसानों के खर्च में कमी।
फसल और मिट्टी दोनों की गुणवत्ता बेहतर।
रासायनिक खेती क्या है?
रासायनिक खेती का अर्थ है खेती में यूरिया, डीएपी, पोटाश, कीटनाशक और हाइब्रिड बीजों का उपयोग करना। हरित क्रांति के समय भारत ने अनाज की कमी को पूरा करने के लिए इसी पद्धति को अपनाया और समय की मांग को पूरा किया था।
रासायनिक खेती की मुख्य विशेषताएँ
फसल का उत्पादन तेजी से बढ़ता है।
खेती कम समय में अधिक लाभ देती है।
कीट और रोग पर नियंत्रण करना आसान है।
फसलों की गुणवत्ता पर असर, स्वाद और पोषण घटता है।
मिट्टी, पानी और पर्यावरण को नुकसान होता है।
जैविक खेती के फायदे
मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है – गोबर खाद, केंचुआ खाद और हरी खाद से मिट्टी प्राकृतिक रूप से उपजाऊ रहती है।
स्वास्थ्यवर्धक भोजन – रासायनिक अवशेष रहित भोजन से बीमारियां कम होती हैं।
बाजार में जैविक आनाज की कीमत अधिक मिलती है।
लागत कम, मुनाफा अधिक – किसानों को खाद-बीज पर ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता।
पर्यावरण संरक्षण – जल और वायु प्रदूषण घटता है।
फसलों का स्वाद और पोषण बढ़ता है – जैविक फसलें अधिक स्वादिष्ट और पौष्टिक होती हैं।
जैविक खेती के नुकसान
फसलों का उत्पादन तुरंत अधिक नहीं मिलता, लेकिन धीरे-धीरे फसलों का उत्पादन बढ़ता है।
शुरुआती सालों में किसान को आर्थिक नुकसान हो सकता है।
जैविक फसलों का प्रमाणन (Organic Certification) की दिक्कत होती है।
ज्यादा श्रम और समय लगता है।
रासायनिक खेती के फायदे
फसलों का उत्पादन कम समय में अधिक होता है।
बढ़ती जनसंख्या की जरूरत को आसानी से पूरा करना।
कीट और बीमारियों पर जल्दी नियंत्रण हो जाता है।
कम समय में किसान की आय बढ़ सकती है।
रासायनिक खेती के नुकसान
लगातार रसायन डालने से मिट्टी की उर्वरता घट जाती है और खेत की मिट्टी बंजर हो जाती है।
लगातार फसलों में रसायन डालने से नदियां और भूजल जहरीला हो जाता है।
लगातार फसलों में रसायन डालने से कैंसर, डायबिटीज, हृदय रोग जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
खाद और बीज की कंपनियों पर पूरी तरह से किसानों का निर्भर होना।
हर साल किसानों को ज्यादा खाद और बीज खरीदने पड़ते हैं।
किसानों की वास्तविक स्थिति
आज भी भारत में अधिकांश किसान रासायनिक खेती पर निर्भर हैं क्योंकि –
तुरंत ज्यादा उत्पादन मिलता है।
बाजार में जैविक उत्पाद को बेचने की दिक्कत।
सरकार की नीतियां लंबे समय तक रासायनिक खेती पर केंद्रित रहीं।
लेकिन धीरे-धीरे जैविक खेती का चलन बढ़ रहा है। खासकर छोटे किसान, पहाड़ी इलाकों और उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, बिहार जैसे राज्यों में जैविक खेती तेजी से बढ़ रही है।
स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्रभाव
रासायनिक खेती का असर
कैंसर बेल्ट (पंजाब-हरियाणा), नदियों में जहरीले अवशेष, मिट्टी का खराब होना।
जैविक खेती का असर
प्रदूषण कम, स्वच्छ भोजन, आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित पर्यावरण।
सरकारी योजनाएँ और पहल
भारत सरकार और राज्य सरकारें किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं:
परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY)
राष्ट्रीय जैविक कृषि योजना
ऑर्गेनिक फार्मिंग मिशन
सिक्किम – 100% ऑर्गेनिक स्टेट
भविष्य की राह – कौन सा मॉडल किसानों को लाभ देगा?
रासायनिक खेती से उत्पादन तो मिलता है लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है।
जैविक खेती लंबी अवधि में मिट्टी, किसान और समाज तीनों के लिए लाभकारी है।
मिश्रित मॉडल (Integrated Farming System) सबसे अच्छा विकल्प है – यानी खेती में प्राकृतिक उर्वरकों का इस्तेमाल और रसायनों पर कम निर्भरता।
अगर सरकार बाजार और प्रमाणन की समस्या हल कर दे तो किसान आसानी से जैविक खेती की ओर बढ़ सकते हैं।
Add comment