कविता
अपने मन की बात……..
लिख दी… दिल के साथ
अपने मन की बात……2
न छल है…. न कपट है
और न है…. कोई राज
अपने मन की बात……
लिख दी…. दिल के साथ
अपने मन की बात…..2
हो सकता है….किसी को दुख पहुंचे
हो सकता है….किसी को मिले खुशी
दु:ख पहुंचाना…..नहीं मेरा मकसद
कुछ बदलाव हो जाए…यही है मेरी चाहत
लिखने में मैंने…..न किया कोई भेद
और न है……. मेरे लिए कोई खास
अपने मन की बात……….
लिख दी….. दिल के साथ
अपने मन की बात………2
लिखूंगा हमेशा…मैं जनहित की बातें
तन जले.. … मन जले….
चाहे लगे…..किसी को काटे
एक-एक शब्द लिखूंगा…… जनहित की आस
अपने मन की बात……….
लिख दी…… दिल के साथ
अपने मन की बात
“यह केवल मेरे मन की बात है………….. न कोई विरोध है,
न कोई प्रचार है, सिर्फ और सिर्फ जनहित में मेरा विचार है।”
Disclaimer (डिस्क्लेमर)
यह कविता “अपने मन की बात” लेखक की व्यक्तिगत भावनाओं, विचारों और समाज के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है। इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति, संस्था या विचारधारा को ठेस पहुँचाना नहीं है। यदि किसी शब्द या पंक्ति से अनजाने में किसी को आघात पहुंचे, तो उसके लिए खेद है। कविता केवल जनहित, सामाजिक सुधार और आत्मचिंतन की प्रेरणा हेतु रची गई है।
लेखक का मकसद बदलाव की बात करना है, विरोध या आलोचना करना नहीं। हर शब्द दिल से लिखा गया है, इसलिए इसे दिल से समझा जाए।
Author: Mukesh
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